शहीद चौधरी मोहर सिंह नरवाल /निरवाल  1857

जन्म:- 1814, शहीदी:- 1857, आयु:– 43 वर्ष, पिता:- चौधरी घासी राम नरवाल

गाँव:- शामली, जिला:- मुजफ्फर नगर (उत्तर प्रदेश)

वे 1857 की क्रांति के एक महान योद्धा थे. चौधरी मोहर सिंह निरवाल ने शामली तहसील के क्षेत्र में क्रांति की अलख जगाई लोगों को आजादी के लिए उकसाया व स्वतन्त्रता सेनानियों ने शामली की तहसील जलादी और कई अंग्रेजों को मार दिया था. शामली आजाद हो चुकी थी।

लेकिन क्रांति के शांत होने पर अंग्रेजो ने शामली के चारों और तोप लगादी. और पूरे गांव को फूंकने का इरादा कर लिया था। तब उस समय वीर मोहर सिंह ने सभी जिम्मेदारी खुद पर लेकर तोप के सामने खड़े होकर कहा कि यह सब मैंनें किया है सजा मुझे मीले गांव को नहीं और यह कहकर वे तोप के सामने खड़े हो गए।अंग्रेजो ने उन्हें तोप से उड़ा दिया।

इस तरह देश के लिए एक और वीरगाथा की रचना चौधरी मोहर सिंह ने कर दी !


‘‘क्षत्रिय नरवाल वंश एवं गौत्रा का उ(व अथवा निकास तथा अखिल भारतीय नरवाल खाप तपा कथूरा की स्थापना का संक्षिप्त इतिहास इस प्रकार है’’

यद्यपि नरवाल वंश व गौत्रा लगभग 14 सौ वर्ष से भी अध्कि प्राचीन काल से अस्तित्व में रहा बताया जाता है, तथापि नरवाल गौत्रा वेफ विभिन्न गाँवों की बिरादरी का एक खाप वेफ रूप में संगठन वेफवल वर्तमान में 12 जनवरी 2015 में ही मूर्त रूप ले पाया। इस विस्मयकारी विडंबना वेफ कारणों से अवगत होने वेफ लिए विशेष ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थितियों का अवलोकन करना अति आवश्यक हो जाता है। नरवाल गौत्रा व वंश वेफ उ(व तथा निकास वेफ संबंध् में प्रचलित तथा आज तक उपलब्ध् मत व किस्से विभिन्न स्त्रोतों पर आधरित हैं। जिनमें से वुफछ महत्वपूर्ण तथ्य प्रकाश में आते हैं व वुफछ तार्विफक निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। पहला मत हमारे वरिष्ठ वुफल पुरोहित पंडित श्री ओम प्रकाश राय भट्ट की पोथियों से प्राप्त होता है। जो निम्न है:- उनवेफ अनुसार हमारे गौत्रा का उ(व लगभग छठी शताब्दी की शुरूआत में अललवुंफड जिला झालावाड़ राज्य राजस्थान नामक स्थान से हुआ है। हमारे पूर्वज कथूरा गाँव को बसाने से पहले विभिन्न स्थानों पर पड़ाव करते हुए लगभग छः सौ अडसठ ईú ;सन् 668द्ध, विक्रमी संवत 725 में कथूरा पहुंचे। उनवेफ अनुसार हमारे पूर्वज अललवुंफड जिला झालावाड़ राज्य राजस्थान से चलकर अबू पर्वत वर्तमान माउंट आबू, जिला सिरोही राजस्थान पहुंचे व पिफर अबू पर्वत से चलकर रणथम्भौर जिला सवाई माधेपुर पहुंचे। रणथम्भौर से चलकर श्यामगढ़ जिला नागौर नामक स्थान पर पहुंचे। श्यामगढ़ जिला नागौर राजस्थान से चलकर ददरेडा जिला चुरू राजस्थान नामक स्थान पहुंचे। अंत में पिफर ददरेडा राजस्थान से चलकर गाँव कथूरा जिला सोनीपत हरियाणा में लगभग छः सौ अडसठ ईस्वी ;सन् 668द्ध, विक्रमी संवत 725 में दादा खेड़ा नामक स्थान और गाँव रिंडाणा जिला सोनीपत नामक स्थान पर आबाद हुए। गाँव कथूरा व रिंढाना इन्हीं दोनों गाँवों से पिफर अन्य स्थानों पर आबाद हुए। ज्यादातर लगभग 90 पफीसदी गाँवों का निकास गाँव कथूरा व लगभग 10 पफीसदी गाँवों का निकास गाँव रिंढाना से हुआ। रिंढाना से गाँव भडताना व बनवासा आबाद हुए जबकि गाँव कथूरा से खेड़ी नरू, वैसर, जोशी, वुफम्हेडा-बिजनौर, सन्नोठ-दिल्ली, पालखेडा-मथुरा, ढिगाड़ी कलां जिला
डाॅ. कर्मपाल नरवाल लेखक
जोध्पुर, बपदा-वुफरूक्षेत्रा, भुल्लन-संगरूर, नैयना-हिसार, जोरा-होशियारपुर, जम्मू व लगभग 1136 ईस्वी में शामली इत्यादि स्थानों पर आबाद हुए। दूसरा मत गाँव कथूरा-रिंढाना वेफ बुजुर्गों का है। उनवेफ अनुसार चार भाई चैध्री कथू सिंह नरवाल ;सबसे बड़ेद्ध, चैध्री रेढू सिंह नरवाल, चैध्री धंध्ु सिंह नरवाल व चैध्री छप्पू सिंह नरवाल गाँव ददरेड़ा से चले और लगभग सन 668 ईसवी में चैध्री कथू सिंह नरवाल ने गाँव कथूरा बसाया, चैध्री छप्पू सिंह नरवाल ने गाँव छपरा व चैध्री धंध्ू सिंह नरवाल ने गाँव ध्नाना बसाया व चैध्री रेढू सिंह नरवाल ने गाँव रिंढाना बसाया। चैध्री धंध्ु सिंह नरवाल व चैध्री छप्पू सिंह नरवाल की मौत बेचिराग ;बेऔलादद्ध हुई। इसलिए यह दोनों गाँव छपरा व ध्नाना ब्राह्मणों को दोहली ;दानद्ध में दिए गए। इसलिए ये गाँव आज भी ब्राह्मणों वाला ध्नाना व छपरा कहकर संबोध्ति किया जाता है। इन गाँव में आज भी नरवालों की लड़की, नातिन इत्यादि का विवाह नहीं लिया जाता है। नरवाल गौत्रा ज्यादातर हिंदू ध्र्म में है। नरवाल गौत्रा का दूसरा मुख्य ध्र्म सिक्ख ध्र्म है जोकि पंजाब वेफ होशियारपुर व पटियाला जिलांे में पैफला है। लेकिन वुफछ नरवाल मुस्लिम ध्र्म में भी है जो कि पानीपत व पाकिस्तान में आबाद हैं। इसी तरह नरवाल गौत्रा अनेकों जातियों में बंटा हुआ है जो कि मुख्यतः जाट जाति में है। व अन्य जातियों में हरिजन, बैरागी, प्रजापत जातियों में भी है। कथूरा गाँव वेफ नरवाल अपने प्रतापी व साहसी पूर्वजों वेफ कदम-चिन्हों को भूलकर तथा कालक्रम में उनवेफ द्वारा रोपित एवं पोषित वंश लताओं से अनजान रहकर दीर्घकाल तक जीवन संघर्ष की यात्रा में लीन रहे। हां इतना अवश्य जागे कि जब मुगलों व अंग्रेजी शासन की बर्बरता ने उन्हें घेरा व झकझोरा तो गौत्रा वेफ गाँवों वेफ रूप में सुरक्षा पर आँच आने लगी तब सूझबूझ से अपने गाँव वेफ आसपास वेफ आठ अन्य गाँवों को मिलाकर नौ गाँवों का एक सुरक्षात्मक संगठन बना लिया। जिसमें बाद में तीन अन्य गाँवों को जोड़कर बाहरा बनाया गया जो कि आज भी ‘‘कथूरा बाहरा’’ वेफ नाम से अस्तित्व में रहकर अपना ऐतिहासिक व सामाजिक दायित्व भली भांति निभा रहा है। इस संगठन का नेतृत्व भी बड़ा गाँव होने वेफ नाते कथूरा गाँव द्वारा ही प्रदान किया जा रहा है। वर्तमान में नरवाल खाप वेफ प्रधन चैध्री भलेराम नरवाल ही कथूरा बाहरा वेफ प्रधन वेफ पद पर कार्यरत हैं। कथूरा बाहरा संगठन का मुख्यालय कथूरा बाहरा भवन व चबूतरा भी कथूरा में स्थापित है। इस बाहरा संगठन में 4 गाँव का कथूरा, रिढ़ाना, बनवासा, कहल्पा नरवाल गौत्रा वेफ गाँव हैं। नरवाल खाप मुख्यतः ग्यारह राज्यों जिनमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, जम्मू व कश्मीर तथा पाकिस्तान अध्किर्त कश्मीर वेफ खैबर पख्तूनख्वा वेफ क्षेत्रा में आबाद है। समय-समय पर भाषा वेफ भेद वेफ कारण इस गौत्रा
का नाम उत्तर प्रदेश में नौवार, नरवार, नौहरवार, निर्वाल, नरवाल, पंजाब में नरवाल निर्वान, नरवाल, हिमाचल प्रदेश में नरयाल दिल्ली मेें निर्वाल व राजस्थान में नरवाल पड़ गया जो कि वस्तुतः एक ही गौत्रा है जो मूलतः नरवाल गौत्रा हैं। उफपरवर्णित संगठन वेफ बावजूद भी नरवालों को चार झोंपड़ी कहलाने का मलाल रहा। क्योंकि उस समय यहाँ नरवाल गौत्रा वेफ चार गाँव प्रमुख थे कथूरा, रिंढाना, बनवासा, कहल्पा। इसलिए ज्यादातर पंचायतों में नरवालों को चार झोपड़ी का गौत्रा कहा जाता था तथा उनकी अपनी स्वगोत्रिय खाप न होने का अभाव नरवालों को हमेशा खलता रहा। जबकि इलावेफ में चारों तरपफ सवगोत्रिय जाटों की सशक्त खाप पंचायतें अपना यश व नाम कमाती रही। यह बात को कथूरा बाहरा वेफ प्रधन व वर्तमान नरवाल खाप वेफ प्रधन चैध्री भलेराम नरवाल को चुभने लगी। उन्हें याद आया कि बुजुर्ग जिक्र करते थे कि हमारे वुफछ पुरखें गाँव छोड़कर अन्य स्थानों में जाकर बस गए थे क्यों नहीं उनको ढूंढा जाए? संक्षेप में इस खोज अभियान वेफ उत्साहवधर््क परिणाम निकले। दिनांक 12 जनवरी 2015 को जाट भवन करनाल में हरियाणा राज्य वेफ ढूंढे जा चुवेफ सभी प्रमुख गाँवों वेफ मौजिज ;प्रमुखद्ध व्यक्तियों की एक सभा हुई जिसमें हरियाणा नरवाल खाप वेफ गठन वेफ साथ खाप वेफ प्रथम प्रधन चैध्री भलेराम नरवाल को उनवेफ द्वारा संगठन निर्माण और खोज अभियान में दिए गए अभूतपूर्व योगदान को सम्मानित करते हुए, सर्वसम्मति से चुन लिया गया और अन्य महत्वपूर्ण पैफसलों वेफ अतिरिक्त इसी सौभाग्यशाली दिन को ‘‘गौत्रा मिलन दिवस व पर्व’’ वेफ रूप में हर वर्ष मनाया जाने लगा। जोकि आज तक निरंतर चलता आ रहा है। और इस सम्मेलन में पैफसला लिया गया कि खाप का संगठन राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जाए और दूसरे प्रदेशों वेफ गोती भाइयों को भी ढूंढा जाए। इसी प्रकार 24 मई 2015 को नरूखेड़ी जिला करनाल हरियाणा में खाप का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें उत्तरप्रदेश, पंजाब, दिल्ली व हरियाणा राज्यों वेफ प्रतिनिध् िपहुंचे। इस राष्ट्रीय नरवाल प्रतिनिध् िसम्मेलन में चैध्री भलेराम नरवाल को खाप को दिए गए अभूतपूर्व योगदान व दृढ़-इच्छाशक्ति को देखते हुए सर्वसम्मति से खाप का राष्ट्रीय प्रधन चुना गया और उत्तर प्रदेश वेफ गाँव मुंडेठ जिला शामली निवासी 98 वर्षीय बुजुर्ग चैध्री हरी सिंह नरवाल ने पगड़ी पहनाकर आशीर्वाद दिया। इस सम्मलेन में, चैध्री भलेराम नरवाल को खाप को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जिम्मेदारी सभी नरवाल बंध्ुओं ने सौंपी। इसी प्रकार खाप का अगला सम्मेलन 14 पफरवरी 2016 को जाट भवन करनाल में हुआ। जिसमें अनेेकों सामाजिक विषयों व समस्याओं वेफ निदान पर विचार किया गया। किसी कारणवश वर्ष 2017 में खाप का सम्मेलन नहीं बुलाया जा सका। इसी प्रकार 7 जनवरी 2018 को सनराईज पब्लिक स्वूफल मतलौढ़ा जिला पानीपत में खाप का
अगला वार्षिक समारोह हुआ जहां कई आवश्यक पैफसले लिए गए। 7 जनवरी 2018 को सनराइज पब्लिक स्वूफल मदलौढा पानीपत में वार्षिक सभा, प्रधन चैध्री भलेराम नरवाल की प्रेरक अध्यक्षता में संपन्न हुई। जहां अन्य पैफसलों वेफ इलावा एक प्रमुख पैफसला यह लिया कि कथूरा ग्राम में ‘‘नरवाल भवन’’ का निर्माण किया जाए। ऐतिहासिक व सौभाग्यशाली दिवस 12 जनवरी 2019 को अखिल भारतीय नरवाल खाप का भाई मिलन समारोह, नरवाल भवन का भूमि पूजन समारोह तथा नरवाल प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन प्रधन चैध्री भलेराम नरवाल की अध्यक्षता में होगा। जिसमें मुख्य अतिथि चैध्री बाबूलाल नरवाल सांसद पफतेहपुर सीकरी, विशिष्ट अतिथि चैध्री तेजेंद्र नरवाल विधयक शामली व अतिथिगण सभी नरवाल अध्किारीगण, अंतरराष्ट्रीय नरवाल खिलाड़ी, प्रमुख नरवाल समाजसेवी होंगे। इस सम्मेलन में इन सभी को नरवाल खाप सम्मानित करेगी। और इस राष्ट्रीय सम्मेलन में नरवालों को विशिष्ट पहचान दिलवाने का कार्य करने वाली नरवाल खाप की अपनी वेबसाईट ूूूण्दंतूंसाींचण्बवउ को लाॅन्च किया जाएगा और खाप की वार्षिक ‘‘नरवाल पत्रिका’’ नामक पत्रिका का भी विध्वित रूप से विमोचन किया जाएगा। सम्माननीय चैध्री भलेराम नरवाल ने अपने सहयोगियों वेफ साथ मिलकर जो नरवाल बिरादरी को ढूंढकर संगठित करने का जो ऐतिहासिक बीड़ा उठाया है उसवेफ पफलस्वरूप अब तक नरवाल गौत्रा वेफ लगभग साढ़े चार सौ ;450द्ध ग्रामों की खोज हुई है व लगभग 180 गाँव बेबसाइट व पत्रिका पर उपलब्ध् हो चुवेफ हैं। इस प्रकार से अखिल भारतीय नरवाल खाप का उद्भव हुआ है, अतः सभी नरवाल भाइयों और बहनों का मंगल हो।

नरवाल गौत्रा वेफ उदगम व विकास का विस्तृत इतिहास भी लिखा जा रहा है, जो जल्द ही समाज में समस्त बिरादरी को प्रस्तुत किया जाएगा।

लेखक – प्रोपेफसर डाॅ. कर्मपाल नरवाल
ड़ीन गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय
हिसार ;हरियाणाद्ध