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नरवाल खाप भारत का एक बहुत बड़ा सामाजिक संगठन है जो देश के 11 राज्यों में भिन्न भिन्न जाति व धर्मों में फैला हुआ है जोकि मुख्यतः हरियाणा,उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर,राजस्थान, गुजरात,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, दिल्ली तथा पाकिस्तान में स्थित कश्मीर के खैबर पख्तूनख्वा के क्षेत्र में आबाद है उनका मुख्य धर्म हिंदू सिख में मुस्लिम है हिंदू धर्म में नरवाल गोत्र जाट,हरिजन,प्रजापत,बैरागी,आदि विभिन्न जातियों में फैला हुआ है। नरवाल गोत्र ज़्यादातर ग्रामीण परिवेश में आबाद है नरवाल गोत्र पूरे भारत में मुख्यतः कृषि संबंधित व्यवसाय से जुड़ा हुआ है नरवाल गोत्र का शिक्षा,खेल व सामाजिक कार्यों में देश-देशांतर में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
नरवाल गौत्र के बारे में संक्षिप्त ब्यौरा :
- नरवाल खाप मूलतः जाट गोत्र चन्द्रवंशीनोहवारोंकी एक शाखा है।
- चन्द्रवंशी सम्राट्ययातिके पुत्र अनु से 9वीं पीढ़ी में महाराजा उशीनर हुये जिनके नव पुत्र ने नवराष्ट्र पर राज्य किया।
- महाराजा नव की प्रसिद्धि के कारण उनके नाम परनव गोत्रप्रचलित हुआ जो कि मुख्यतः जाट गोत्र है।
- समय समय पर भाषा भेद से इन जाट लोगों का नाम नव, नौवार, नौहवार व नरवाल पड़ गया जो कि सब एक ही है।
- इन नौहवार जाटों में नरहरी क्षत्रिय के नाम पर इसी वंश के एक समूह का नाम नरवाल प्रचलित हुआ जो कि नौहवारों की शाखा है।
- नौहवार और नरवाल जाटों के जिला मथुरा मेंहसनपुर, बरौठ, बाजवा आदि आठ गांव है।
- मुलतः Kathura सबसे बड़ा गांव है, यहीं से नरवाल हरियाणा और उत्तरप्रदेश में आबाद हुये।
- सामाजिक तौर पर नरवाल खाप भारत का एक बहुत बड़ा सामाजिक संगठन है जो देश के 11 राज्यों में भिन्न भिन्न जाति व धर्मों में फैला हुआ है।
- नरवाल खाप का मुख्यतः हरियाणा,उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर,राजस्थान, गुजरात,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, दिल्ली तथा पाकिस्तान में स्थित कश्मीर के खैबर पख्तूनख्वा के क्षेत्र में आबाद है।
- हालाँकि नरवाल खाप के लोग ज्यादातर जाट हैं व हिन्दू हैं लेकिन कुछ नरवाल सिख व मुस्लिम भी हैं तथा हिंदू धर्म में तनिक नरवाल गोत्र के लोग कहीँ कहीँ नरवाल गाँवों में ही हरिजन, प्रजापत, बैरागी आदि जाति के भी पाये जाते हैं।
- वस्तुतः नरवाल गोत्र ज़्यादातर ग्रामीण परिवेश में आबाद है व नरवाल गोत्र पूरे भारत में मुख्यतः कृषि संबंधित व्यवसाय से जुड़ा हुआ है तथा नरवाल गोत्र का शिक्षा, खेल (विशेषकर कब्बडी) व सामाजिक कार्यों में देश-देशांतर में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
- वहीं दूसरी ओर, देश भर में फैली नरवाल खाप का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सौहार्द बनाए रखना अनेक सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाना जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, जाति प्रथा व नशाखोरी समाज में व्याप्त अनेककुरीतियों के खिलाफ कार्य करना आदि नरवाल खापका मुख्य उद्देश्य है।
- वतर्मान समय में देश भर की नरवाल खाप राष्ट्रीय स्तर पर समाज में होने वाली अनेक सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है।
निष्कर्ष : मुझे इतनी कर्मठ व लगनशील तथा राष्ट्रीयता को समर्पित नरवाल खाप का सदस्य होने पर आजीवन फ़क्र है।